kuch kahi kuch unkahi...
vishwahindijanअक्टूबर 19, 2011
कुछ कही कुछ अनकही सी बात रह जाती है जब अपने होठो मैं बंद कर लेता हु अपने अल्फाजो को एक पल के लिए दिल से दिमाग तक पहुच जाते है विचार मेर...
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