" हाशिया "
" हाशिया "
सड़कों पर फेकी वो लाशें किसकी है ?
माथे पर उनके अभी भी खिचाव है
खोफ का भयानक चेहरा
अभी भी उनकी आँखों से गया नहीं
उसको देख कर लगता है
की पूरी रात वो लड़ता रहा
रात के हर उस सन्नाटे से उसकी भिडंत हुई
उसकी चीख यहीं किनारे मैं झाड़ियों
के मध्य कहीं गूंज रही है
यह कल तक बंद कमरे मैं था
कल था जो कोई इसके पास आया
ले गया वो इसे जनसमूह मैं
भीड़ मैं भीड़ की तरह खो गया वो
इसके कन्धों पर अनजाना बोझ लाड दिया गया
पेट के आरपार सत्ता को देखने के लिए
एक मार्ग बना दिया गया
बंदूकधारियों द्वारा
फिर बेनर उठे
चलने लगे सब कदम से कदम मिला
किसी ने उसके सर को कुचला
तो किसी ने उसके हांथों को
जितनी बार वो कुचला गया
जिंदगी की थूक
निकलती गई उसके अन्दर से
उस पुरे दस्ते के पार होते ही
वह आखिरी व्यक्ति
पीछे मुड़कर उस व्यक्ति पर हंसा
उसकी आँखों ने जेसे बहुत कुछ कहा
फिर बेनर उठा
लगाने लगे परिवर्तन के नारे
उस व्यक्ति का बिखरा खून
बहता हुआ
जा कर मिल गया निगम के नाले से
नाला मिल गया नदी मैं
नदी मिल गई समुन्द्र मैं
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