ईरानी लोक साहित्य की विशेषता
लोक कथाओं की एक और
दूसरी विशेषता, विषय-वस्तु का संक्षिप्त होना है। इस
प्रकार की कथाओं में विशेषकर जो ऐतिहासिक दृष्टि से नई हैं, विषय-वस्तु
अत्यधिक संक्षिप्त होती है। अस्कन्दर नामे या रुमूज़े हम्ज़ा जैसी किताबों कि
जिनमें कथाओं की सामग्री अधिक है, बहुत ही महत्वपूर्ण घटनाओं
को कुछ ही पंक्तियों में बयान कर दिया गया है। इन कथाओं में कहीं दो पंक्तियों में
इस्लाम के प्रसिद्ध 50 वीर रणभूमि मे जाते हैं या जादू टूटता है एवं जादूगर मारा
जाता है और एक विशाल देश का द्वार खुलता है। कहीं कहीं ऐसा होता है कि किताब का
सार टिप्पणी के रूप में या महत्वपूर्ण विषयों के आलेख में बयान हो जाता है। लोक
कथाओं के शोधकर्ताओं का मानना है कि किताब का लेखक चाहता था कि विषयों के बारे में
पर्याप्त व्याख्या करे किन्तु उसे मौक़ा नहीं मिल पाया।
-लोक कथाओं की एक और
विशेषता अनंतता है। इस प्रकार की किताबों विशेषकर वह किताबें कि जिनमें किसी कथा
का उल्लेख हो, कथा की अनंतता उनकी मूल विशेषता होती है।
वास्तव में यह अनंतता लोक कथाओं की आवश्यकताओं में से है। इस लिए कि इन कथाओं के
लिखने का तरीक़ा ऐसा होता है कि आसानी से खिंचता चला जाता है। प्रत्येक वीर के
बच्चे होते हैं, उन में से हर एक को उसी प्रकार के युद्ध
क्षेत्र एवं परिस्थितियों का सामना कराया जा सकता है कि जिनका उनके पूर्वजों ने
किया था। यह सिलसिला उस समय तक जारी रह सकता है कि जब तक कथा का लेखक या सुनाने
वाला चाहे, उन में से प्रत्येक को उन परिदृश्यों एवं
परिस्थितियों का सामना कराता रहे जिनसे उनके पूर्वजों का सामना होता रहा था और यह
निरंतरता एवं सिलसिला उस समय तक जारी रह सकता है कि जब तक कथा का लेखक और सुनाने
वाला चाहता हो।
लोक कथाओं की अंतिम
विशेषता,
इन कथाओं का पुराना होना है। लोक कथाओं का विषय पुराना एवं अतीत से
संबंधित समाज होते हैं कि जिन्हें भुला दिया गया हो, वास्तव
में यह विषय लोक संबंधित लोगों के विश्वासों एवं रीति रिवाजों से होता है कि
जिनमें कभी कभी इतिहास की ग़लतियां भी पाई जाती हैं। इस सब के बावजूद, इन कथाओं का साहित्य, इतिहास, समाजशास्त्र,
मानवशास्त्र एवं कल्पनात्मक दृष्टि से बहुत महत्व होता है।
इस सप्ताह की कहानी
सुनते हैं। इस कहानी में चमत्कार एवं आभार व्यक्त करने वाले जानवर कि जो लोक कथाओं
की विशेषताओं में से हैं प्रयोग हुए हैं।
कहते हैं कि पुराने
युग में एक चक्की वाला था कि जो लोगों के गेहूं पीसता था और मज़दूरी उसी आटे से ले
लिया करता था कि जो वह पीसा करता था और उसे चक्की के एक कोने में इकट्ठा किया करता
था। लेकिन हर दिन जब सुबह चक्की पर आता था तो देखता था कि आटे का अता पता नहीं है।
उसने अपने मन में सोचा कि चक्की का द्वार तो बंद है, कोई
और रास्ता भी नहीं है। तो फिर कौन मेरा आटा ले जा सकता है? चक्की
वाले ने फैसला किया कि रात को वह चक्की में ही ठहरेगा ताकि इस बात का पता लगा सके।
रात हो गई तो उसने देखा कि चक्की के पानी के रास्ते से एक लोमड़ी चक्की में आई और
सीधी आटे के पास गई और आटा खाना शुरू कर दिया। जब तक उसका पेट भर नहीं गया वह खाती
रही। बाक़ी आटे को उसने इकट्ठा किया और ले गई। चक्की वाले ख़ुद से कहा कि चक्की के
चोर का पता चल गया। दूसरी रात को भी चक्की वाला चक्की में रुक गया और लोमड़ी आ गई।
चक्की वाले ने पानी के रास्ते को बंद कर दिया और लोमड़ी के पास आया और कहा तेरी
ऐसी की तैसी। अब समय आ गया है कि तेरी खाल उतारके बेच दूं और जितना नुक़सान तूने
पहुंचाया है उससे पूरा कर लूं। लोमड़ी ने गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया औऱ कहा कि अगर
तुम मेरी खाल ले जाओ और बेच भी दो तो तुम्हें कितना मूल्य मिल जाएगा? तुम मुझे जाने दो फिर देखना कि मैं तुम्हे कितना लाभ पहुंचाती हूं। यदि
ऐसा नहीं हुआ तो फिर तुम मुझे पकड़ कर मेरी खाल उतार लेना। चक्की वाले ने स्वीकार
कर लिया और लोमड़ी चली गई। लोमड़ी ने जो कुछ भी फटे पुराने कपड़े लत्ते और पुराने
जूते जैसी चीज़े थीं इकट्ठा कीं और लाकर चक्की के कोने में डाल दीं। चक्की वाले ने
जब इस सब कूड़े करकट को देखा तो लोमड़ी से कहा कि भाड़ में गया तेरा लाभ, तू इससे अधिक लाभ नहीं पहुंचा सकती, क्योंकि तेरे
पास बुद्धि नहीं है। यह कूड़ा क्या है जो तूने यहां डाल रखा है? लोमड़ी ने कहा कि तुम्हे इससे मतलब नहीं है। उसके बाद लोमड़ी चली गई और
पांच छः दिन तक यही करती रही। इसी तरह कई दिन बीत गए कि एक दिन एक व्यापारी
व्यापार के इरादे से उस शहर में आया। लोमड़ी चक्की वाले के पास और कहा आटे की यह
चार गोनिया उठाओ और कहो कि मेरे श्रीमान लोमड़ी ने तुम्हारे लिए भेजा है और कहा है
कि उनके लिए रेश्मी लबादा, कश्मीरी शाल, टोपी और मख़मली वास्कट ले आना। चक्की वाला बड़बड़ाता हुआ गया और व्यापारी
से कहा। व्यापारी ने आटे की गोनियां ले लीं और स्वीकार कर लिया। एक दिन कश्मीरी
शाल, रेश्मी लबादा, टोपी और मखमली
वास्कट प्राप्त हो गए। लोमड़ी ने वास्कट पहनी शाल और टोपी ओढ़ी और राजा के महल की
ओर चल पड़ी और विशेष ज़जीर खटखटा दी। यह ज़जीर कोई सामान्य ज़जीर नहीं थी, बल्कि जो कोई भी राजा की लड़की का रिश्ता मांगने आता था तो उस ज़जीर को
बजाता था। सेवक गए और उन्होंने राजा को बताया कि महाराजा आप की जय हो, एक लोमड़ी कि जो वास्कट, मख़मली टोपी, रेश्मी लबादा और कश्मीरी शाल ओढ़े हुए है वह आपकी पुत्री का हाथ मांगने आई
है। राजा ने कहा कि जाओ और लोमड़ी को लेकर आओ. वे गए और लोमड़ी को लेकर आए। राजा
ने पूछा, हे लोमड़ी बात किया है? लोमड़ी
ने कहा, महाराजा की जय हो, मेरा एक
मालिक है कि जो आपकी पुत्री से विवाह करना चाहता है और उसने मुझे संदेश देने के
लिए भेजा है। राजा ने कहा कि मैंने तो तेरे मालिक को देखा नहीं है। लोमड़ी ने कहा,
मैं जा रही हूं और अपने मालिक को लेकर आती हूं। अब सुनिए कि आगे
किया हुआ, लोमड़ी ने चक्की वाले का नाम रका हुआ था तोज़ली
बेग। लोमड़ी चक्की वाले के पास आई और कहा कि तोज़ली बेग। खड़े हो और इन सब कपड़े
लत्तों को उठाते हैं और चलते हैं राजा की सेवा में। चक्की वाले ने कहा कि यह
तोज़ली बेग कौन? मैं कहां और राजा का महल कहां? मैं तुजे पहचानता हूं, तूने मुझे फंसाने की कोई
साज़िश रची है। लोमड़ी कहा, ज़्यादा बातें मत मिलाओ और उठो
चलो।
अंततः चक्की वाला कि
जिसका नाम अब तोज़ली बेग हो पड़ चुका था लोमड़ी और उस कूड़े करकट के साथ कि जो
लोमड़ी ने इकट्ठा किया था राजा के महल की ओर चल दिया। रास्ते में एक बड़ी नदी
पड़ती थी। लोमड़ी और चक्की वाला जब नदी पर पहुंचे तो उन फटी पुरानी कत्तरों को नदी
में फेंक दिया और तोज़ली बेग को भी धक्का दे दिया और पानी में डाल दिया। चक्की
वाला सहायता के लिए चिल्ला रहा था और कह रहा था कि अंततः तूने अपनी साज़िश को
व्यवहारिक बना दिया, इतने में लोमड़ी आई और चक्की
वाले को पानी से निकाला रोती चिल्लाती महल की ओर दौड़ी। राजा ने पूछा तुझे क्या हो
गया है? लोमड़ी ने कहा, आप चाहते थे
क्या हो जाए. मैं चालीस कारवानों को ला रही थी ताकि आपके लिए उपहार लेकर आऊं। एक
ख़च्चर का पैर फिसल गया और वह नदी में गिर पड़ा और शेष ख़च्चर भी उसके साथ साथ।
मेरा मालिक भी कि जो घोड़े पर सवार था पानी में कूद पड़ा और पानी मेरे मालिक को
बहा लेकर गया। कितनी कठिनाई से मैंने अपने मालिक को पानी से निकाला है। किन्तु सभी
सामान और उपहारों को पानी बहाकर ले गया। राजा ने कहा।
मैं राजा हूं उसके
बावजूद तेरा मालिक मेरे लिए सामान और ख़च्चर ला रहा था। मेरे कुछ वस्त्र लोमड़ी को
दे दो ताकि वह ले जाकर अपन मालिक को देदे और उसे यहां ले आए। एक ओर तो राजा ने
लोमड़ी को कपड़े भिजवाए ताकि वह जाकर अपने मालिक को दे और उसके लेकर आए। दूसरी ओर
राजा ने कुछ लोगों को भेजा ताकि सच्चाई का पता लगाकर आएं कि लोमड़ी सच बोल रही है
या नहीं?
वे गए और उन्होंने फटे पुराने कपड़ों को पानी से जमा किया और कहा.
हां, निश्चित रूप से पानी ने सभी उपहारों को फाड़ वाड़ डाला
है। वे आए और उन्होंने राजा को यह समाचार दिया। लोमड़ी भी गई और उसने चक्की वाले
को कपड़े पहनाए और कहा, हे तोज़ली बेग जब महल में पहुंचों तो
ऊंची आवाज़ में प्रणाम करना और जाकर राजा के पास बैठ जाना। और देखो इधर उधर नहीं
देखना। कहते हैं कि न देखना भी देखना है। कुल मिलाकर लोमड़ी और चक्की वाला कि जो
अब तोज़ली बेग हो गया था और राजा के वस्त्र पहने हुए था महल की ओर चल पड़े।
सन्दर्भ - http://hindi.irib.ir/
सन्दर्भ - http://hindi.irib.ir/
कोई टिप्पणी नहीं:
धन्यवाद