क्या पिछली बार की तरह इस बार भी तुम यु ही चुप रहोगी..
हर बार तुम्हारे होठो पर कुछ thehar सा जाता है..
हर बार तुम्हारी पलकों से कुछ फिसलता है
हर बार तुम्हारे चेहरे से तुलना करता हु अपने खुसी की ..
हर बार तुम्हारा नाम अनायास ही जुड़ जाता है मुझसे ..
...पर फिर भी कुछ होने की आस मैं मुझे तुमसे जुदा होना अच लगता है ..
क्या तुम्हे भी वो सब लगता है जो मुझे लगता आया है..?
हर बार तुम्हारे होठो पर कुछ thehar सा जाता है..
हर बार तुम्हारी पलकों से कुछ फिसलता है
हर बार तुम्हारे चेहरे से तुलना करता हु अपने खुसी की ..
हर बार तुम्हारा नाम अनायास ही जुड़ जाता है मुझसे ..
...पर फिर भी कुछ होने की आस मैं मुझे तुमसे जुदा होना अच लगता है ..
क्या तुम्हे भी वो सब लगता है जो मुझे लगता आया है..?
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धन्यवाद