समस्याए कहा खड़ी होती है जहा से हमारी आकांक्षाये जन्म लेती है ...अगर हमे खुद से सवालों के जवाब मिलने लग जाये तो हर मनुष्य प्रसन्न रहेगा मगर ऐसा कभी नही होता..कहते है मनुष्य अपना भाग्य स्वयम लिखता है और स्वयम बिगड़ता भी है क्योकि जो चीज़ उसे मिलने वाली होती है वेह उसके पीछे भागता रहता है और यही भागने मैं जब वो थक जाता है तो परेशां ह...ो निराश हो जाता है तो फिर आखिर क्यों हम अपने आसपास ऐसा माहोल बना लेता है झा सिर्फ परेशानिया होती है अगर हम अपने भीतर केवल एक मिनट भी प्रश्नों के हल खोजे तो क्या नही मिलेगा परन्तु विडम्बना यही है की आज के जीवन मैं हम खुद को समय देना ही भूल गए है जब हम खुद से भूल जाते है तो आखिर दुनिया तो हमे भुला ही देगी...
इतिहास हमेसा सत्पुरुषो का रहा है लोग हमे तब तक याद रखेंगे जब तक की हम उनके लिए कुछ करते रहे ..यह विचार दोनों मायने से है...अगर मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के बाद भी केवल अपने लिए जीते जीते मर जाता है तो मन जाता है उसका जीवन व्यर्थ है परन्तु जिन्होंने समाज के लिए आदर्श खड़े किये उन्हें क्या प्राप्त हुआ ..कुछ की हमने आकर्षक मूर्ति बना कर उनके जन्मदिन पर दो माला अर्जित कर देते है तो कुछ तो अतीत की खाई मैं इतने भीतर घुसा दिए गए है की इतिहास मैं उनकी अस्तित्व की लड़ाई ही शामिल हो गई है...
प्रश्न यह नही है की इन्होने क्या किया बल्कि समस्या यह है की हम स्वयम से कब तक परेशानी के दवाब मैं खुद को अँधेरे मैं बिठाये रखेंगे ..क्या हुआ क्या हो रहा है और क्या होगा यही जीवन का मुलभुत प्रश्न है ...परन्तु क्या होने वाला है को हम आज ही प्राप्त करने के प्रयास मैं दिशाहीन हो जाते है
खेर मैं युवाओ की बात करू तो प्रेम बड़ा ही व्यापक विषय है..युवा मन मैं ओस की बूंद की तरह है प्रेम ..पलकों पर सपनों के ठहर जाने की गाथा है प्रेम ..मन मैं एहसासों के आशियाने बनाने का सपना है प्रेम ..परन्तु जब हम इसे वक़्त से पहले पाने का प्रयास करते है तभी हम अपने लक्ष्य से भटकते है...जो हमे मिलेगा उसको प्राप्त करने का प्रयास गलत नहीं परन्तु उसे प्राप्त करने के लिए वक़्त से लड़ना गलत है समय से पहले कुछ भी प्राप्त नहीं होता यह हमे समझना होगा और काफी हद तक समझना होगा नहीं तो हमे अपने निर्धारित लक्ष्य का विकल्प तलाशना ही होगा ...
युवा मन भ्रांतियों का होता है..वेह दुसरो को देखकर अधिक आकर्षित होता है यही कारन है की समस्ये यहाँ से भी जन्म लेती है जब किसी युवा की प्रेम नहीं मिलता तो वो उसे पाने की कोशिश करता है अर्थात की हमारे आस पास जब कभी हमारा मित्र या रिश्तेदार उस प्रेम मैं हो तो अनाय्यास ही हमारा ध्यान भी उसे पाने को करता है जिसमे विवास होकर ही हम एक अलग मार्ग चुनते है परन्तु उस वक़्त यदि हम समय से आगे जाने के बजाये वाक्य के साथ चलते हुए लक्ष्य के बाद या उसके साथ ही इस एहसास को पाए तो उस प्रेम की अनुभाती कही अधिक और अलोकिक होगी...
कहा भी जाता है की जब मन आनंदित होता है तो सब कुछ नया दीखता है अगर मन मैं पीड़ा हो तो अच सुख भी चोट करने लगता है...युवा मन को इसी चोट से उबरना होगा ..युवा तो क्रांति का रूपक है यह यही युवा है जो समय के साथ परिवर्तन करने का हिमात रखता है ..चाहे वो तनाशी देशो की क्रांति हो (लीबिया ,यमन या अन्य देश) युवा चाहे तो कुछ भी कर सकता है परन्तु अवसयक्ता है अपनी शक्ति को सही दिशा देने की...
इस जीवन मैं सही गलत का फैसला लेने का एक वक़्त होता है प्रेम को पाना सेक्स करना गलत नहीं है परन्तु सब कुछ भुला कर उसमे डूब जाना गलत है उस शक्ति का सही दिशा मैं प्रयोग करो उस सकती से आप हर चीज़ को पा सकते है ...कहने का अभिप्राय है सब कुछ करो परन्तु उस विरत कल्पना शक्ति को मत भूलो आपको इस प्रलोभन से ऊपर उठकर उस शक्ति को प्राप्त करना होगा उसके लिए इन भोतिक्ताओ से होकर गुज़रा व्यक्ति ही संघर्ष कर सकता है...
संघर्ष करो समस्याए दूर होती जाएगी....
इतिहास हमेसा सत्पुरुषो का रहा है लोग हमे तब तक याद रखेंगे जब तक की हम उनके लिए कुछ करते रहे ..यह विचार दोनों मायने से है...अगर मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के बाद भी केवल अपने लिए जीते जीते मर जाता है तो मन जाता है उसका जीवन व्यर्थ है परन्तु जिन्होंने समाज के लिए आदर्श खड़े किये उन्हें क्या प्राप्त हुआ ..कुछ की हमने आकर्षक मूर्ति बना कर उनके जन्मदिन पर दो माला अर्जित कर देते है तो कुछ तो अतीत की खाई मैं इतने भीतर घुसा दिए गए है की इतिहास मैं उनकी अस्तित्व की लड़ाई ही शामिल हो गई है...
प्रश्न यह नही है की इन्होने क्या किया बल्कि समस्या यह है की हम स्वयम से कब तक परेशानी के दवाब मैं खुद को अँधेरे मैं बिठाये रखेंगे ..क्या हुआ क्या हो रहा है और क्या होगा यही जीवन का मुलभुत प्रश्न है ...परन्तु क्या होने वाला है को हम आज ही प्राप्त करने के प्रयास मैं दिशाहीन हो जाते है
खेर मैं युवाओ की बात करू तो प्रेम बड़ा ही व्यापक विषय है..युवा मन मैं ओस की बूंद की तरह है प्रेम ..पलकों पर सपनों के ठहर जाने की गाथा है प्रेम ..मन मैं एहसासों के आशियाने बनाने का सपना है प्रेम ..परन्तु जब हम इसे वक़्त से पहले पाने का प्रयास करते है तभी हम अपने लक्ष्य से भटकते है...जो हमे मिलेगा उसको प्राप्त करने का प्रयास गलत नहीं परन्तु उसे प्राप्त करने के लिए वक़्त से लड़ना गलत है समय से पहले कुछ भी प्राप्त नहीं होता यह हमे समझना होगा और काफी हद तक समझना होगा नहीं तो हमे अपने निर्धारित लक्ष्य का विकल्प तलाशना ही होगा ...
युवा मन भ्रांतियों का होता है..वेह दुसरो को देखकर अधिक आकर्षित होता है यही कारन है की समस्ये यहाँ से भी जन्म लेती है जब किसी युवा की प्रेम नहीं मिलता तो वो उसे पाने की कोशिश करता है अर्थात की हमारे आस पास जब कभी हमारा मित्र या रिश्तेदार उस प्रेम मैं हो तो अनाय्यास ही हमारा ध्यान भी उसे पाने को करता है जिसमे विवास होकर ही हम एक अलग मार्ग चुनते है परन्तु उस वक़्त यदि हम समय से आगे जाने के बजाये वाक्य के साथ चलते हुए लक्ष्य के बाद या उसके साथ ही इस एहसास को पाए तो उस प्रेम की अनुभाती कही अधिक और अलोकिक होगी...
कहा भी जाता है की जब मन आनंदित होता है तो सब कुछ नया दीखता है अगर मन मैं पीड़ा हो तो अच सुख भी चोट करने लगता है...युवा मन को इसी चोट से उबरना होगा ..युवा तो क्रांति का रूपक है यह यही युवा है जो समय के साथ परिवर्तन करने का हिमात रखता है ..चाहे वो तनाशी देशो की क्रांति हो (लीबिया ,यमन या अन्य देश) युवा चाहे तो कुछ भी कर सकता है परन्तु अवसयक्ता है अपनी शक्ति को सही दिशा देने की...
इस जीवन मैं सही गलत का फैसला लेने का एक वक़्त होता है प्रेम को पाना सेक्स करना गलत नहीं है परन्तु सब कुछ भुला कर उसमे डूब जाना गलत है उस शक्ति का सही दिशा मैं प्रयोग करो उस सकती से आप हर चीज़ को पा सकते है ...कहने का अभिप्राय है सब कुछ करो परन्तु उस विरत कल्पना शक्ति को मत भूलो आपको इस प्रलोभन से ऊपर उठकर उस शक्ति को प्राप्त करना होगा उसके लिए इन भोतिक्ताओ से होकर गुज़रा व्यक्ति ही संघर्ष कर सकता है...
संघर्ष करो समस्याए दूर होती जाएगी....
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धन्यवाद