"केनवास "
आज केनवास पर
एक चित्र उभर आया
माथे पर प्रहार का निशाँ
आँखों मैं जमा हुआ दर्द
तन पर लाचारी और बेबसी के मंत्र
हृदय की गति पर
भरी बोझ रख दबा दिया गया
उसके परिजन
दो गज ज़मीं मांग रहे
दो मीटर कफ़न के बाद
जहाँ जहाँ यह चित्र उभरता
मुर्दा रोने लगते
पत्ते आपस मैं बहस करते
वृक्ष झुक जाते
रास्ते चलना बंद कर देते
क्योंकि फिर कहीं
कोई नेहरा चेहरा
केनवास की खोज मैं ना हो...
आज केनवास पर
एक चित्र उभर आया
माथे पर प्रहार का निशाँ
आँखों मैं जमा हुआ दर्द
तन पर लाचारी और बेबसी के मंत्र
हृदय की गति पर
भरी बोझ रख दबा दिया गया
उसके परिजन
दो गज ज़मीं मांग रहे
दो मीटर कफ़न के बाद
जहाँ जहाँ यह चित्र उभरता
मुर्दा रोने लगते
पत्ते आपस मैं बहस करते
वृक्ष झुक जाते
रास्ते चलना बंद कर देते
क्योंकि फिर कहीं
कोई नेहरा चेहरा
केनवास की खोज मैं ना हो...
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