एक खुबसूरत शाम
फेलाहे खडी है बाँहें
तारो की चाय समेटने को
और कहने को
हाँ सच मैं
यह ज़िन्दगी की खुबसूरत शाम है

२.
उस रेट के आखिरी कण को रोक लो
निचे के रेत मैं मिलने से
नहीं तो फिर किसी के हाथ मैं
सपनों की नीव तैयार हो जाएगी

वह लो आज जो काफी दूर है
वह  गल गई आज बहुत ज्यादा
शायद  सही से कड़ी नहीं थी
जहाँ  अक्सर रहती थी 

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धन्यवाद