- डॉ. (श्रीमती) के. बेमबेम देवी
किसी भी क्षेत्र के निवासियों के ऊपर उनके प्रादेशिक पर्यावरण एवं संस्कृति का बहुत प्रभाव पड़ता है। वह कालान्तर में जीवन के विविध पक्षों के साथ उसके साहित्य को भी प्रभावित करता है। साहित्य चिरकाल से अर्जित ज्ञान राशि का नाम है, जिसका सम्बन्ध साधारण जनता से होता है। साधारण जनता जिन शब्दों में गाती है, रोती है, हँसती है, खेलती है एवं अपना जीवन–यापन करती है, सबको लोक सहित्य का अंग कहा जा सकता है। जिस प्रकार साधारण जनता का जीवन नागरिक जीवन से भिन्न होता है, उसी प्रकार उनका साहित्य भी आदर्श साहित्य से पृथक होता है।
लोक साहित्य एक ऐसा विषय है, जिसके सम्यक अध्ययन से किसी देश की सभ्यता एवं संस्कृति, धर्म व रीति–रिवाजों, कला और साहित्य सामाजिक अभ्युदय एवं आकांक्षाओं का सूक्ष्म अवलोकन किया जा सकता है। किसी देश–विदेश की तत्कालीन समुन्नत संस्कृति का आभास भले ही शास्त्र–सम्मत कला व साहित्य से प्राप्त हो परन्तु अमुक संस्कृति कैसे पनपी इसका संकेत पाना कठिन है, किन्तु लोक साहित्य के द्वारा यह कार्य सुकर–सुलभ हो जाता है, क्योंकि उस समय या साहित्य लोक साहित्य में सुरक्षित मिलता है।
लोक साहित्य की दृष्टि से मणिपुरी लोक साहित्य अत्यन्त समृद्ध है। मणिपुर में लोक साहित्य की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है। प्राचीन काल में किस प्रकार लोक साहित्य का उद्भव एवं विकास हुआ और किस तरह वह भिन्न–भिन्न शताब्दियों से होकर आज की अपनी स्थिति को बनाये हुए है, यह विषय नितान्त विचारणीय एवं मननीय है। लोक साहित्य मुख्य रूप से मौखिक होता है। लोक साहित्य की विभिन्न विधायें यथा– लोकगीत, लोककथा, लोकगाथा, लोकनाटय, जनश्रुतियाँ, लोकोक्तियाँ, कहावतें, पहेलियाँ एवं मुहावरे आदि परम्परागत रूप में पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलती रहती हैं। इन विधाओं का मणिपुर में प्रयोग कब से आरम्भ हुआ यह बता पाना नितान्त असम्भव है। उपलब्ध सामग्री के आधार पर जहाँ तक मेरा अनुमान है कि जब से मणिपुरी समाज का सृजन हुआ, तब से ही या उससे पहले से भी उक्त सभी विधायें प्रचलित रही होंगी। चूँकि ये सभी विधायें मौखिक एवं श्रुति परम्परा पर आधारित रही हैं, इसलिए इनके उद्भव के सम्बन्ध में कुछ भी बता पाना सम्भव नहीं है, किन्तु मणिपुरी संस्कृति, लोक दर्शन एक ऐसा विशिष्ट दर्शन है, जो आततायियों के कई आक्रमण झेलकर भी अपनी अस्मिता अपना पहचान एवं अपना सांस्कृतिक मूल्य सुरक्षित रख पाया है। मणिपुर के विरात सांस्कृतिक उत्सव धार्मिक को समझने के लिए मणिपुरी लोक साहित्य के अंतर्निहित भावों का दर्शन अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
कोई टिप्पणी नहीं:
धन्यवाद