छत्तीसगढ़ के लोकगीत में विविधता है, गीत अपने आकार में छोटे और गेय होते है। गीतों का प्राणतत्व है भाव प्रवणता। छत्तीसगढ़ी लोकभाषा में गीतों की अविछिन्न परम्परा है।छत्तीसगढ़ के प्रमुख और लोकप्रिय गीतों है - सुआगीत, ददरिया, करमा, डण्डा, फाग, चनौनी, बाँस गीत, राउत गीत, पंथी गीत।दाऊ रामचन्द्र देशमुख छत्तीसगढ़ी कला, संस्कृति के ओर सम्पूर्ण रुप से समर्पित है। उन्होंने चंदैनी गोंदा शुरु किये और गांव गांव में गये ताकि कलाकार कवि उससे जोड़े। चंदैनी गोंदा शुरु से ही बहुत लोकप्रिय रहे। कहा जाता है कि चंदैनी गोंदा है सांस्कृतिक जागरन के प्रतीक। इसी मंच के कारण कितने प्रतिभाशाली व्यक्ति आगे आ पाये जैसे लक्ष्मण मस्तूरिया, खुमान साव, केदार यादव, साधना यादव, भैयालाल हेड़ाऊ और कितने कलाकार, चंदैनी गोंदा जैसे प्रस्तुति बहुत ही बिरल है। छत्तीसगढ़ के किसान के पीरा, गांव के दुख दर्द, गीत-पूरे छत्तीसगढ़ की झलक इस प्रस्तुति में दिखाते है।
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