एक मुद्दत हो गई तुम,हे ठीक से देखे हुए कभी को कमबख्त चाँद पूरा निकलेगा हर टहनी को तोड़ डाला ना जाने तुम्हारा चेहरा कहा छुपा होगा..अब तो वक़्त भी झूठा सा लगने लगा है यार्रू कभी तो तुमने उसे देखा होगा कही तो उसे सुना होगा नही समझा पाए थे हम उसे प्यार का मतलब कभी तो उसने हमारी आँखों से अपना चेहरा dएक्खा होगा कभी तो उसने वो सब एहसास किया होगा जो हम करते थे करते है उसके ना होने पर भी

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