अजीब है यह ज़िन्दगी भी
कभी ख़ुशी भी हो तो
न जाने किस गम का इंतज़ार करती है
सब कुछ मिल जाये
फिर भी इज़हार करती है
पल पल मैं रुख बदलती है ज़िन्दगी
कभी शाम तो कभी सुबह का
इंतज़ार करती है ज़िन्दगी
क्यों खो कर सब कुछ भी
पाने का इज़हार करती है ज़िन्दगी
जिसे नहीं मिलता यहाँ कुछ भी
वो भी आंसुओ को पहनता है
मरने के आगाज़ पर भी
जीने का इज़हार करता है
जहा मिलती है बेरुखी
वहा भी प्यार का इज़हार करता है
कभी गम तो कभी बिछुड़ने का नाम है ज़िन्दगी
ज़िन्दगी कभी तो मदिरा है
कभी पूरी मधुशाला है ज़िन्दगी...
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