इस बार फिर वेसा कुछ नहीं हुआ जेसा होना चाहिए था ...
इस बार फिर चाँद भिखारी के हाथो से निकल गया और वो बुखा रह गया
इस बार फिर नदी उसी जगह जाकर खली है जहा प्यासे इंतज़ार कर रहे है ...
इस बार फिर उन आँखों मैं अनसु है जहा कभी चेहरे पर हंसी का बसेरा था ....
इस बार फिर मेरा हाथ खली रह गया जेसे हर बार अपना ही हाथ पकड़ खुश हो जाता था ...
इस बार क्या है जो नया हुआ है
अब तो लगता है आदत हो जाएगी कुछ नया होने की...
इस बार तो वो हो जो पहले कभी हुआ हो .....

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